फ्लॉप फिल्मों से PVR-INOX को 130 करोड़ का घाटा, बंद होंगे 70 थिएटर्स, शाहरुख और सनी देओल ना होते तो हालत और बुरी होती!

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PVR-INOX Future Plans: इंडियन मल्टीप्लेक्स चेन पीवीआर आइनॉक्स लिमिटेड जिसे पीवीआर सिनेमाज के नाम से भी जाना जाता है. इसने नए फाइनेंशियल ईयर में बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के तहत पीवीआर 70 स्क्रीन्स बंद करने जा रहा है. इससे पहले कि आप सोचें कि कंपनी खुद के बिजनेस को छोटा कर रही है, बता दें कि असल में कंपनी ने ये फैसला कंपनी का रेवेन्यू बढ़ाने के लिए किया है.

पीवीआर ने न सिर्फ 70 मल्टीप्लेक्स बंद करने का फैसला तो लिया है, लेकिन इसके साथ ही 120 नए मल्टीप्लेक्स खोलने की भी प्लानिंग की है. इस प्लानिंग के तहत कंपनी साउथ इंडिया में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए उत्सुक दिख रही है.

 

क्यों लेना पड़ा ये फैसला
मिंट के मुताबिक, असल में कंपनी ने अपनी फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के चौथी तिमाही के आंकड़े पेश किए हैं, जिसमें कंपनी को टोटल 130 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसके बाद, कंपनी ने नई स्ट्रैटजी फॉलो करने का मन बनाया है. इसके तहत उन ही थिएटर्स को बंद करने का फैसला लिया गया है जिनका परफॉर्मेंस बहुत खराब था.

असल में कोरोना की पहली वेव आने के बाद और लॉकडाउन की वजह से लोगों का थिएटर्स जाना बंद हो गया था. ऐसे में ही ओटीटी प्लेटफॉर्म्स लोगों के लिए एंटरटेनमेंट का मजबूत जरिया बनकर भी उभरे. इसका नुकसान पीवीआर को भी हुआ. लेकिन इससे उबरने के लिए पीवीआर ने अब एक धांसू प्लान बनाया है.

क्या है कंपनी का मास्टर प्लान
फाइनेंशियल ईयर 2023-24 की चौथी तिमाही से जुड़ा कंपनी ने जो डेटा पेश किया है उसमें बताया गया है कि कंपनी को 130 करोड़ का घाटा हुआ है. ऐसे में कंपनी ने जहां फाइनेंशियल इयर 2023-24 में 85 थिएटर्स बंद किए थे, वहीं अब कंपनी फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में 70 और थिएटर्स बंद करने जा रही है. कंपनी ने हाल में ही कंपनी की फाइनेंशियल प्लानिंग के तहत अपनी घोषणा में ये बताया.

कंपनी की ओर से जारी बयान में ये भी बताया गया है कि कंपनी साउथ इंडिया में 120 नए थिएटर्स खोलने की भी प्लानिंग कर रही है. यानी साउथ इंडिया में पैठ बनाने की कोशिश जिससे कंपनी का फायदा हो सकता है.

क्यों किया कंपनी ने ऐसा
कंपनी का कहना है कि वो अपने संसाधनों को ऑप्टिमाइज करके अपने रिटर्न्स मैक्सिमाइज करना चाहती है. यानी कंपनी के रिसोर्सेज को सही तरीके से इस्तेमाल करके आय में बढ़ोतरी करने की स्ट्रेटजी है ये. कंपनी ये कैपिटल लाइट मॉडल के तहत करना चाहती है. कैपिटल लाइट मॉडल वो मॉडल होता है जिसके तहत कोई कंपनी निवेश की गई पूंजी की मात्रा को कम करती है. इसके अलावा, कंपनी ने ये भी फैसला लिया है कि पिछले फाइनेंशियल ईयर की तुलना में कंपनी के खर्चों में भी 25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी.

कंपनी को हुआ घाटा, लेकिन फिर भी है आशा की किरण
कंपनी ने बताया कि कंपनी को फाइनेंशियल ईयर 2023-24 की चौथी तिमाही में 130 करोड़ का कन्सॉलिडेटेड नुकसान हुआ, जो फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की तुलना में कम था, क्योंकि तब ये घाटा 333 करोड़ था. वहीं ऑपरेटिंग रेवेन्यू में भी सुधार आया है, जो 1143 करोड़ से बढ़कर 1256 करोड़ हो चुका है.

कंपनी का लॉस भी फाइनेंशियल ईयर 2023 की तुलना में 2024 में 335 करोड़ से घटकर सिर्फ 32 करोड़ रह गया है. वहीं रेवेन्यू ग्रोथ 3751 करोड़ से बढ़कर 6107 करोड़ हो चुकी है. कंपनी के मुताबिक, 31 मार्च 2024 को खत्म हुई आखिरी तिमाही पिछले फाइनेंशियल ईयर की सबसे कमजोर तिमाही थी.

किस तिमाही में बॉलीवुड ने किया कितना परफॉर्म?
मनी कंट्रोल के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2023-24 की पहली तिमाही की शुरुआत धीमी रही. हिंदी फिल्मों के औसत परफॉर्मेंस की वजह से इस तिमाही की घाटा 44.1 करोड़ रहा. हालांकि, दूसरी तिमाही में शाहरुख की जवान और सनी देओल की गदर 2 ने सिनेमाहॉलों में जान फूंक दी. हालांकि, अच्छे दिनों की शुरुआत तो हुई लेकिन ये दौर बहुत दिनों तक चल नहीं पाया. तीसरी तिमाही में प्रॉफिट में 20 प्रतिशत की कमी आई और प्रॉफिट घटकर 12.8 करोड़ रह गया.

 

आखिरी तिमाही कमजोर होने की क्या रही वजह?
वहीं चौथी तिमाही में जनवरी के महीने में फाइटर जैसी मच अवेटेड फिल्म रिलीज हुई, जो करीब 250 करोड़ के बजट में तैयार की गई थी. लेकिन ये फिल्म भी 200 करोड़ तक जाते-जाते ही फुस्स हो गई.

नए फाइनेंशियल ईयर की भी शुरुआत धीमी ही रही
नए फाइनेंशियल ईयर यानी 2024-25 की भी शुरुआत धीमी ही रही. अभी तक कोई दो बड़ी बॉलीवुड फिल्में ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘मैदान’ रिलीज हुईं. दोनों ही बिग बजट और बड़े स्टार्स की फिल्में थीं और दोनों से उम्मीदें थीं, लेकिन दोनों ही फिल्में फ्लॉप साबित हुईं.

इसके अलावा, लोकसभा चुनाव 2024 की वजह से भी ऑडियंस उस तरह से सिनेमाहॉल्स की तरफ रुख नहीं कर रही, जैसे बड़ी कमाई के लिए जरूरी है. इक्का-दुक्का जो फिल्में अच्छा कलेक्शन कर भी रही हैं वो छोटे बजट की हैं उनका कलेक्शन 100 करोड़ भी नहीं पहुंच रहा. यही वजह है की इस साल की पहली तिमाही की शुरुआत भी उतनी बेहतर नहीं हुई है.

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