क्या अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से AAP को मिलेगा सियासी फायदा? विपक्षी नेताओं की बैठक आज

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 क्या अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से AAP को मिलेगा सियासी फायदा? विपक्षी नेताओं की बैठक आज

 

दिल्ली की शराब नीति के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार शाम दिल्ली के सीईओ अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि देश में कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव होने वाले थे। पहले चरण की 102 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों का नामांकन भी शुरू हो गया है.

इस संदर्भ में, जहां कुछ आप और कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक संभावनाओं के खिलाफ एक हथियार हो सकती है, वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि केजरीवाल को मतदान केंद्रों के इतने करीब गिरफ्तार करना एक गलती है। इससे न सिर्फ आम आदमी पार्टी बल्कि विपक्ष को भी तगड़ा झटका लग सकता है.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन पर कैसा असर पड़ेगा, एक सवाल ये भी उठता है कि क्या वाकई केजरीवाल के जेल में होने से सच में AAP को होगा फायदा मिलेगा?

सबसे पहले समझते हैं इस गिरफ्तारी से बीजेपी को क्या हो सकता है फायदा

‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा’, कुछ सालों पहले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये नारा दिया था. जिसका मतलब साफ है कि पीएम मोदी की सरकार में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है. इस नारे के अलावा एनडीए के पिछले दो कार्यकाल में जिस रफ्तार से ईडी-इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई बढ़ी है, कहीं न कहीं जनता के बीच ये संदेश गया है कि देश को लूटने वालों को जेल में डाला जा रहा है.

अब इसी कड़ी पहली बार एक सिटिंग मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है. केजरीवाल भी कोई आम नेता नहीं है, उन्होंने खुद को एक आंदोलन से उठाया था. इतना ही उन्होंने कई सार्वजनिक मौकों पर इस बात का दावा किया है कि वह कट्टर ईमानदार सरकार चलाते है.

ऐसे में में उनकी गिरफ्तारी ने आम आदमी पार्टी के सामने दो बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. पहली- भ्रष्टाचार, दूसरी- शराब घोटाले में शामिल होने का आरोप.

इसे ऐसे समझिये की समाज का एक बड़ा वर्ग आज भी शराब कारोबार को बहुत अच्छी नजरों से नहीं देखता है. ऐसे में अगर केजरीवाल का नाम शराब घोटाले में आ रहा है तो ये पार्टी की छवि के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है.

अब केजरीवाल को खुद को निर्दोष तो साबित करना ही है, लेकिन साथ ही उन्हें शराब कारोबार से जुड़े अपने नाम से भी पीछा छुड़वाना पड़ेगा.

कहीं न कहीं इस पूरे मामले में बीजेपी ने एक तरह का नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रही है कि आप सरकार देश की राजधानी दिल्ली में शराब के कारोबार को बढ़ाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में इस मैसेजिंग से खुद को अलग करना भी एक चुनौती साबित होगा.

अब केजरीवाल की एक मुश्किल ये भी है कि जमानत मिल भी जाती है तो भी चुनाव से पहले ये साबित नहीं हो पाएगा की शराब घोटाले में उनका शामिल होने का आरोप सही है या नहीं. उल्टा लोकसभा चुनाव से पहले सबसे ईमानदार नेताओं में गिनती किए जाने वाले केजरीवाल पर ये तमगा और लगा रहेगा कि वे जमानत में बाहर चल रहे हैं.

वहीं तरफ दूसरी पिछले कुछ सालों में बीजेपी की राजनीति देखे तो ये पार्टी किसी के जेल जाने से ज्यादा उनके जमानत पर बाहर घूमने को मुद्दा बनाती है.

क्या आम आदमी पार्टी को मिलेगा इस गिरफ्तारी का फायदा

किसी भी हाई-प्रोफाइल राजनेता की गिरफ्तारी पर वोटरों का ध्यान उस नेता और पार्टी की तरफ जाना बेहद आम है. वहीं अब केजरीवाल की गिरफ्तारी की बात की जाए तो राजनीतिक विशेषज्ञ अरविंद केजरीवाल को भी पीएम मोदी की तरह ही आपदा को अवसर में बदलने वाला नेताओं मानते हैं.

चुनाव से पहले उनकी गिरफ्तारी पर पार्टी जनता के बीच ऐसा दिखाने की कोशिश कर सकती है कि सभी पार्टियां आप से इतनी डर गई है कि हर कोई एक ही शख्स के पीछे पड़ा हुआ है. भले ही गिरफ्तारी ईडी ने की हो, लेकिन आप जनता के बीच ये नैरेटिव सेट करने का काम कर सकती है कि बीजेपी के इशारों पर सब हुआ.

यहां इस बात को नहीं भूलना चाहिए की भारत की राजनीति में सहानुभूति फैक्टर भी मायने रखता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को मिला 400 से ज्यादा सीट है. उस वक्त कांग्रेस के पास कोई करिश्माई चेहरा भी नहीं था, लेकिन पार्टी के पास इंदिरा की हत्या का दर्द था जिसने इतना बड़ा जनादेश देने का काम किया.

अब आज की हालात की बात करें तो आम आदमी पार्टी भी उसी जनादेश को अपनी ताकत मानकर चल रही है. पार्टी को लग रहा है कि इस गिरफ्तारी से जनता के बीच में केजरीवाल की छवि को और ज्यादा मजबूत होगी.

इतना ही नहीं इस पूरी घटना को भुनाने का काम भी पार्टी ने शुरु कर दिया है. आम आदमी पार्टी के तमाम नेता जिस तरीके से बयानबाजी कर रहे हैं, उससे साफ है कि सहानुभूति पाने की पूरी कवायद शुरू हो चुकी है.

आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने इस मामले पर बयान दिया है कि- नरेंद्र मोदी अगर किसी से डरते हैं तो वे अरविंद केजरीवाल हैं. वहीं सौरभ भारद्वाज ने भी इस पूरे मामले पर कहा है कि मोदी को हराने का अगर कोई दम रखता है तो वो केजरीवाल हैं.

केजरीवाल के समर्थन में INDIA गठबंधन

केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी लगातार बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि डरा हुआ तानाशाह, एक मरा हुआ लोकतंत्र बनाना चाहता है.

इस पूरे मामले में सिर्फ आम आदमी पार्टी या कांग्रेस ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन में शामिल सभी घटक दल के नेता अरविंद केजरीवाल के समर्थन में खड़े हैं.

क्या है शराब नीति में कथित घोटाला

8 जुलाई 2022 को राजधानी दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें शराब घोटाले का खुलासा किया गया था. इस रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया सहित के बड़े नेताओं पर घोटाले के गंभीर आरोप लगाए गए थे.

उस वक्त आबकारी विभाग सिसोदिया के पास था. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सिसोदिया ने लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचा है.

रिपोर्ट के अनुसार आप पार्टी ने कोरोना महामारी का बहाना बनाकर कारोबारियों से ली जाने वाली 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस मनमाने तरीके से माफ कर दी. वहीं एयरपोर्ट जोन के लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को भी 30 करोड़ लौटा दिए गए, जबकि ये रकम जब्त की जानी थी.

इसके बाद एलजी वीके सक्सेना ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की. फिर 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया. उधर क्योंकि पैसों की हेराफेरी का आरोप था, इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी मामला दर्ज कर लिया.

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