Amrish Puri Death Anniversary: हीरो बनने का सपना लेकर मुंबई आए थे अमरीश पुरी..लेकिन किस्मत पलटी और बन गए हिंदी सिनेमा के खूंखार विलेन

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Amrish Puri Death Anniversary: हीरो बनने का सपना लेकर मुंबई आए थे अमरीश पुरी..लेकिन किस्मत पलटी और बन गए हिंदी सिनेमा के खूंखार विलेन

Entertainment Desk | Maanas News

Amrish Puri Death Anniversary: हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर रहे अमरीश पुरी की आज 19वीं पुण्यतिथि हैं. आज भले एक्टर हमारे बीच ना हो लेकिन फैंस के दिलों में अपनी फिल्मों के जरिए वो हमेशा जिंदा रहेंगे.

अमरीश पुरी वो शख्सियत थी. जिनका नाम आज भी हिंदी सिनेमा के इतिहास में बहुत ही अदब के साथ लिया जाता है. अमरीश पुरी बॉलीवुड के वो खलनायक थे, जिनको दर्शक हीरो से भी ज्यादा प्यार करते थे. आज उनकी 19वीं पुण्यतिथि है. ऐसे में हम आपको उनकी लाइफ के वो राज बता रहे हैं. जो आपने पहले नहीं सुने होंगे.

अमरीश पुरी साहब का जन्म 22 जून 1932 को जालंधर में हुआ था. जो विलेन नहीं बल्कि हीरो बनने का सपना लेकर सपनों की नगरी मुंबई में आए थे.लेकिन कहते हैं ना किस्मत के आगे किसी की नहीं चलती. ऐसा ही कुछ अमरीश पुरी के साथ भी हुआ. जिन्होंने फिल्मों में विलेन के तौर पर एंट्री की और फिर दर्शकों के दिलों पर अपनी गहरी छाप छोड़ने पर कामयाब हुए.

एक बार अपने स्ट्रगल दौर को याद करते हुए खुद अमरीश पुरी ने ये खुलासा किया था कि जब वो हीरो बनने आए थे, तो उन्हें ये कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था कि उनका चेहरा विलेन जैसा है. उस वक्त ये बात सुनकर वो काफी निराश हुए थे.लेकिन इसके बाद अमरीश पुरी ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत करते हुए अपने चेहरे को ही अपनी ताकत बना लिया. फिर वो वक्त आया जब अमरीश पुरी को फिल्म में काम करने का मौका मिला.

अमरीश पुरी को पहला ब्रेक फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ में मिला था. हालांकि इसमें वो छोटे से रोल में दिखे. फिर उन्हें असली पहचान फिल्म ‘हम पांच’ से मिली. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.फिल्म मिस्टर इंडिया में उनका रोल ‘मोगैम्बो’ आज भी सिनेमाप्रमियों का फेवरेट है. इसके अलावा ‘त्रिदेव’, ‘मेरी जंग’ जैसी फिल्मों में भी शानदार भूमिका निभाई.

बता दें कि अमरीश पुरी माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम से पीड़ित थे. जिसके चलते एक्टर काफी वक्त तक कोमा में रहे और फिर 12 जनवरी साल 2005 को उन्होंने आखिरी सांसे ली. उनकी मौत से ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि पूरे देश में सन्नाटा फैल गया था.

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