राजधानी में रोचक हुआ मुकाबला! नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में मनोज तिवारी Vs कन्हैया कुमार, समझिए सियासी समीकरण

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राजधानी में रोचक हुआ मुकाबला! नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में मनोज तिवारी Vs कन्हैया कुमार, समझिए सियासी समीकरण

14 अप्रैल को कांग्रेस ने राजधानी दिल्ली में अपने खाते की तीनों सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया. पार्टी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार को मैदान में उतारा है. इस चुनाव में कन्हैया भारतीय जनता पार्टी से दो बार के सांसद रहे और भोजपुरी फिल्म स्टार मनोज तिवारी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.

सूत्रों के मुताबिक इस सीट पर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली लड़ना चाहते थे लेकिन राहुल गांधी ने खुद कन्हैया कुमार की पैरवी की. सांप्रदायिक ध्रुवीकरण वाला उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय इलाका अपनी चुनौतियों के साथ एक चुनावी हॉटस्पॉट रहा है. ऐसे में दो बड़े चेहरों का मैदान में उतरने के कारण यह देखना दिलचस्प होगा कि इस इलाके में सत्ता के मैदान में कौन बाजी मारता है.

रिपोर्ट में इस लोकसभा सीट के सियासी समीकरण से इतिहास तक, विस्तार से समझते हैं..

नार्थ ईस्ट सीट को पूरे भारतवर्ष का सबसे सघन आबादी वाला इलाका माना जाता है और यहां सबसे ज्यादा आबादी पूर्वांचल के लोगों की है. इस लोकसभा सीट में कई ऐसी अनधिकृत कॉलोनियां हैं जहां पर अलग-अलग राज्यों से प्रवासी या माइग्रेंट लोग बसे हुई हैं. वहीं उत्तर पूर्वी दिल्ली की सीमा यूपी से लगने के कारण यहां मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा की प्रवासी आबादी शामिल है.

राजधानी का सबसे बड़ा जिला

उत्तर पूर्वी दिल्ली इलाका देश की राजधानी का सबसे बड़ा जिला है. इस लोकसभा सीट में 10 विधानसभा सीटें हैं जिसमें बुराड़ी, तिमारपुर, सीलमपुर, घोंडा, बाबरपुर, गोकलपुर, सीमापुरी, रोहतास नगर, मुस्तफाबाद और करावल नगर शामिल है. इस सीट की खासियत यही है कि यहां कई अलग अलग समुदायों की आबादी निवास करती है.

उत्तर पूर्वी दिल्ली इलाके में लगभग 16.3 फीसदी अनुसूचित जाति, 11.61 फीसदी ब्राह्मण, 20.74 फीसदी मुस्लिम, 4.68 फीसदी वैश्य (बनिया) , 4 प्रतिशत पंजाबी, 7.57 प्रतिशत गुर्जर और 21.75 फीसदी ओबीसी समुदाय के लोग हिस्सेदारी रखते हैं.

पिछले चुनाव में किसकी जीत

साल 2009 का लोकसभा चुनाव: अब इस सीट के पुराने चुनावी नतीजों को देखें तो साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से जेपी अग्रवाल को मैदान में उतारा था. उस चुनाव में बीजेपी के तरफ से बीएल शर्मा प्रेम मैदान में थे और कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ 59.03 प्रतिशत वोटों के साथ भारी बढ़त हासिल की थी. साल 2009 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को केवल 33.71 फीसदी वोट मिली थी

2014 का लोकसभा चुनाव: अब साल 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मनोज तिवारी को 45.38 प्रतिशत वोट मिला था, जबकि आम आदमी पार्टी की तरफ से मैदान में उतरे आनंद कुमार को 34.41 प्रतिशत और कांग्रेस को सिर्फ 16.05 प्रतिशत वोट मिला था.

2019 का लोकसभा चुनाव: 2019 के चुनाव के दौरान इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का रुख एक बार फिर मजबूत हुआ और इसी पार्टी के प्रत्याशी मनोज तिवारी को 53.86 फीसदी वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से शीला दीक्षित मैदान में उतरी थी और उन्हें 28.83 प्रतिशत वोट मिले थे. हालांकि आम आदमी पार्टी को केवल 13.05 फीसदी वोट मिल सका.

इस बार के दोनों चेहरे जनता के बीच काफी लोकप्रिय

इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवार जनता के बीच काफी मशहूर है. एक तरफ जहां मनोज तिवारी राजनीति से हटकर अभिनेता और गायक के तौर पर भी काफी लोकप्रिया हैं तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैया कुमार की छवि युवाओं का मुद्दा उठाने वाले नेता की है. वह एनएसयूआई के एआईसीसी इंचार्ज हैं और खास तौर पर युवाओं से जुड़े मुद्दे लगातार उठाते रहे हैं

कन्हैया कुमार इस लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी की दोनों भारत जोड़ो यात्रा में भी काफी एक्टिव नजर आये. उन्होंने इन यात्राओं में युवाओं को साथ जोड़ने में काफी अहम भूमिका निभाई है.

वहीं भारतीय जनता पार्टी के भीतर मनोज तिवारी की कितनी अहमियत है यह इसी बात से समझा जा सकता है कि दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से केवल एक ही सांसद पर मौजूदा सांसद को टिकट दिया गया और वह सीट है उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट.

दिल्ली का भविष्य तय करेगी ये सीट

वर्तमान में आम आदमी पार्टी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कई आरोपों में घिरे हुए हैं. ऐसे मनोज तिवारी और कन्हैया कुमार दोनों प्रत्याशी में दिल्ली की राजनीति में अपनी पार्टी को नेतृत्व देने की काफी क्षमता मौजूद है और अगर दोनों में से कोई एक जीतता है तो पार्टी उसे कांग्रेस या बीजेपी दिल्ली के भविष्य के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकती है.

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