15 सियासी दल, 3 रिटायर्ड चीफ जस्टिस, एक पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त ने किया एक देश-एक चुनाव का विरोध

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15 सियासी दल, 3 रिटायर्ड चीफ जस्टिस, एक पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त ने किया एक देश-एक चुनाव का विरोध

 

सितंबर 2023 में वन नेशन वन चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली केंद्र सरकार द्वारा आयोग की स्थापना की गई थी। निकाय के साथ बातचीत के दौरान, विरोधियों में सुप्रीम कोर्ट के तीन पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एक पूर्व राज्य चुनाव आयुक्त शामिल थे। एक साथ चुनाव को बरकरार रखने के अलावा 15 राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया. 32 पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया.

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर बनी कमेटी ने गुरुवार को अपनी सिफारिश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में एक साथ चुनाव कराने पर 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल को सौंपी हैं. 32 पार्टियों ने देश में एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया है. हालांकि, इस नीति का समर्थन करने वाले दलों में सिर्फ दो राष्ट्रीय पार्टियां बीजेपी और एनपीपी हैं. एनपीपी भी NDA का हिस्सा है.

इन पूर्व जजों ने किया विरोध

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने हाईकोर्ट के जिन पूर्व चीफ जस्टिस की सिफारिश ली है, उनमें से 9 ने एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है. जबकि जस्टिस अजीत प्रकाश शाह (दिल्ली हाईकोर्ट), गिरीश चंद्र गुप्ता (कलकत्ता हाईकोर्ट) और संजीब बनर्जी (मद्रास हाईकोर्ट) ने इसका विरोध किया है.

वहीं, कमेटी ने जिन सुप्रीम कोर्ट के जिन 4 रिटायर्ड चीफ जस्टिस से मुलाकात की, उन्होंने इसका समर्थन किया है. समर्थन करने वालों जजों में जस्टिस दीपक मिश्रा, रंजन गोगोई, एसए बोबडे और यूयू ललित शामिल हैं.

पैनल से बातचीत के दौरान चार पूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्नर्स ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है. जबकि वर्तमान और पूर्व राज्य चुनाव आयुक्तों में 7 ने इसे सही बताया. वहीं, तमिलनाडु चुनाव आयुक्त रहे पलानीकुमार ने इस पर आपत्ति जताई है.

कमेटी ने क्या सिफारिश की?

पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को वन नेशन वन इलेक्शन पर सौंपी रिपोर्ट में टू स्टेप प्रोसेस की सिफारिश की है. यानी पहले स्टेप में लोकसभा चुनाव के साथ सभी विधानसभाओं के चुनाव कराए जाएं. इसके 100 दिन के भीतर सभी निकाय चुनाव कराए जाएं.

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