ये ईश्वर की भी इच्छा है,’नहीं तो पूरी दुनिया को करना पड़ेगा विनाश का सामना”, मोहन भागवत ने राम मंदिर उद्घाटन को एक साहसिक कार्य बताया.

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ये ईश्वर की भी इच्छा है,’नहीं तो पूरी दुनिया को करना पड़ेगा विनाश का सामना”, मोहन भागवत ने राम मंदिर उद्घाटन को एक साहसिक कार्य बताया.

Political Desk | Maanas News

महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत को खुद अपने काम में सहयोग देना होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पूरी दुनिया को अब भारत की जरूरत है और अगर सही समय पर समर्थ भारत नहीं बनाया गया तो इसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ेगा.

पुणे में गीता भक्ति अमृत महोत्सव को संबोधित करते हुए आरएसएस नेता ने राम मंदिर के उद्घाटन को एक साहसी कार्य बताया। उन्होंने कहा कि 22 तारीख को रामलला का आगमन हुआ. हमने इसके लिए काम किया. तमाम कोशिशों के बावजूद भगवान के आशीर्वाद से यह काम हो सका. मुझे भी इस कार्यक्रम में भाग लेकर सम्मानित महसूस हुआ.

‘मौजूदा पीढ़ी के लिए सौभाग्य की बात’

उन्होंने आगे कहा, “ये आज की पीढ़ी के लिए सौभाग्य की बात है कि उन्हें रामलला को अपनी जगह पर देखने का मौका मिला. ये सिर्फ और सिर्फ भगवान के आशीर्वाद और उनकी इच्छा से ही सफल हो पाया. एक लंबे संघर्ष के बाद समय बाद साहसिक कार्य हो पाया.”

‘ये तो भगवान की भी इच्छा है’

वहीं उन्होंने ये भी कहा कि भारत बना रहना चाहिए, यह ईश्वर की भी इच्छा है लेकिन हमको भी इसको आगे बढ़ाने के लिए कार्य करना चाहिए. अगर भारत जल्दी से समर्थ नहीं हुआ तो इसके नुकसान विश्व की भी होंगे.

‘नहीं तो पूरी दुनिया को करना पड़ेगा विनाश का सामना’

संघ प्रमुख ने आगे कहा, “भारतवर्ष को ऊपर उठना ही होगा क्योंकि पूरी दुनिया को इसकी जरूरत है. अगर किन्ही कारणों से भारत नहीं उठ पाया तो पूरी धरती को ही विनाश का सामना करना पड़ेगा. इस तरह की स्थिति बनी हुई है जिसके बारे में दुनिया के सभी बुद्धिजीवी जानते हैं और इसके बारे में इन लोगों ने बात भी की है.”

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