Delhi: वोकल कॉर्ड निकाले जाने के बाद भी बोल सकेंगे मरीज, AIIMS और IIT ने मिलकर बनाया स्पेशल डिवाइस

0

Delhi: वोकल कॉर्ड निकाले जाने के बाद भी बोल सकेंगे मरीज, AIIMS और IIT ने मिलकर बनाया स्पेशल डिवाइस

Health Desk | Maanas News

Delhi News: दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने मिलकर एक ऐसा उपकरण बनाया है, जिससे गले के कैंसर के उपचार के चलते अपना वॉयस बॉक्स या वोकल कॉर्ड गंवाने वाले मरीज अब आसानी से बातचीत कर सकेंगे. प्लास्टिक से बने इस देसी वॉल्व की मदद से लोग बोल सकेंगे. इसे बनाने में बेहद कम खर्च आता है और ये मामूली कीमत पर उपलब्ध होगा.

एम्स के नाक-कान-गला विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ. आलोक ठक्कर ने एबीपी न्यूज़ को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि एम्स ने आईआईटी दिल्ली के सहयोग से एक ऐसा मेडीकल इम्पलांट विकसित किया है, जिसकी मदद से मरीज को वोकल कॉर्ड या स्वर रज्जू के बिना भी बोलने की क्षमता मिल जाती है. उन्होंने बताया कि उन्नत लैरिंग कैंसर वाले मरीज या हाइपोफेरीन्जियल कैंसर के लिए आवश्यक रूप से ऑपरेशन करना पड़ता है, जिसमें वॉइस बॉक्स या स्वरयंत्र को निकालना पड़ता है. इसके चलते मरीजों को बोलने में काफी दिक्कत होती है. एक तरह से उनकी आवाज बंद हो जाती है.

दो-ढाई हजार में मिलेगी स्वदेशी इम्प्लांट

डॉ. आलोक ठक्कर ने बताया कि, एम्स और आईआईटी दिल्ली ने मिल कर ट्रेकिया एसोफैगल स्पीच प्रोस्थेसिस वाल्व (मेडिकल इम्प्लांट) बनाया है, जिससे मरीज की आवाज वापस आ जाती है और वे वोकल कॉर्ड के बिना ही बोल पाने में सक्षम हो जाते हैं. डॉ. ठक्कर ने बताया कि अब तक इस प्रकार का मेडिकल इंप्लांट यूरोप से मंगाया जाता था, जिसकी कीमत 40 से 45 हजार के आसपास होती थी, लेकिन एम्स-आईआईटी दिल्ली के इस इंप्लांट की कीमत मात्र दो से ढाई हजार के बीच होगी.

Leave A Reply

Your email address will not be published.