Sam bahadur Review: Vicky Kaushal इस फिल्म को देखने की इकलौती और बहुत बड़ी वजह देते हैं, लेकिन एक जगह मार खा गई फिल्म

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Sam bahadur Review: Vicky Kaushal इस फिल्म को देखने की इकलौती और बहुत बड़ी वजह देते हैं, लेकिन एक जगह मार खा गई फिल्म

Entertainment Desk | BTV Bharat

आपको ये एहसास करा देते हैं…आपकी नजर उनसे हटती नहीं हैं…और वो इकलौती वजह हैं इस ठीकठाक फिल्म को देखने की…एक तरह से कहें तो विक्की अपनी शानदार एक्टिंग से इस फिल्म को बचा ले गए हैं.

कहानी :

ये कहानी है सैम बहादुर की….जो फील्ड मार्शल बने…जो वॉर हीरो थे…और एक कमाल की शख्सियत थे..उनकी जिंदगी कैसी थी….कैसे वो सेना में आए. कहां-कहां पोस्टिंग हुई…कैसे वो जंग की तैयारी करते थे…सेना में जोश भरते थे…और किस तरह से उन्होंने अपनी जिंदगी सेना के नाम कर दी थी.

कैसी है फिल्म:

फिल्म का जब ट्रेलर देखा था तो लगा था ये साल का सबसे बेस्ट ट्रेलर है…इतना कमाल का..विक्की कौशल को देखकर मजा आ गया था, लेकिन फिल्म की शुरुआत होती है तो लगता है उम्मीदें तो टूट गईं…फिल्म की शुरुआत काफी हल्की है…आप फिल्म से कनेक्ट नहीं कर पाते…जैसे-जैसे फिल्म इंटरवल की तरफ बढ़ती है…दिलचस्पी बढ़ने लगती थी…सेकेंड हाफ अच्छा है…विक्की कौशल फिल्म को अपने कंधों पर लेकर चलते हैं…उनकी वजह से आप ये फिल्म देख पाते हैं…लेकिन ये फिल्म रिसर्च में मार खा जाती है.

सैम मानेशॉ पर ये सारी रिसर्च तो यू ट्यूब पर है…सैम पर ये फिल्म कुछ अलग नहीं दिखाती..कुछ नया नहीं दिखाती…सैम काफी विवादों में भी रहे थे…जब वो इस दुनिया से गए तो उन्हें गार्ड ऑफ हॉनर नहीं दिया गया था. इन सारी बातों का जिक्र फिल्म नहीं करती..बस उनकी रिटायरमेंट पर फिल्म खत्म कर दी जाती है..यानि फिल्म कोई रिस्क नहीं लेती और यहां आप फिल्म से निराश होते हैं…क्योंकि आप कुछ और भी जानना चाहते हैं…फिल्म का ट्रेलर जो उम्मीद जगाता है फिल्म उसे पूरा नहीं कर पाती….और जाते-जाते आपको इस फिल्म से सिर्फ एक चीज मिलती है…विक्की कौशल की शानदार एक्टिंग.

एक्टिंग :

ये इस फिल्म का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट है…या कहें कि यही इकलौता प्लस प्लाइंट है…विक्की कौशल ने इस फिल्म से जो लेवल सेट किया है वो काफी ऊंचा है…विक्की वैसे भी अपना लेवल काफी ऊंचा कर चुके हैं…यहां वो आपको विक्की नहीं लगते..सैम लगते हैं..सैम बहादुर…जब वो चलते हैं…जब वो जवानों को देखते हैं…तो आपके अंदर एक सिहरन पैदा होती है कि अब क्या करेंगे…जब वो किसी को भी स्वीटी कहते हैं तो आप मुस्करा पड़ते हैं.

उन्होंने सैम मानेशॉ की बॉडी लैंग्वेज को गजब पकड़ा है…कमाल के तरीके से डायलॉग बोले हैं…वो किरदार में अंदर तक घुस गए हैं…और ये फिल्म उनकी एक्टिंग रेंज को और आगे ले गई है..लेकिन यहां से रास्ता और मुश्किल होगा क्योंकि अब विक्की किसी भी किरदार को हल्के में नहीं निभा सकते…वो अपनी लकीर काफी लंबी कर चुके हैं….ये उनके करियर का बेस्ट परफॉर्मेंस है. आप उनकी आंखों में..उनकी एक्टिंग में खो जाते हैं..सैम मानेकशॉ की जिंदगी के जवानी से लेकर बुढ़ापे तक के हर रूप को विक्की ने पूरे परफेक्शन से निभाया है…सैम की पत्नी के किरदार में सान्या मल्होत्रा अच्छी लगती हैं…वो विक्की का पूरा साथ देती हैं…फातिमा सना शेख ने इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है और उनका काम भी अच्छा है लेकिन विक्की कौशल इस फिल्म की जान हैं.

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