Pragya Thakur Statement: प्रज्ञा ठाकुर का बड़ा दावा, मालेगांव ब्लास्ट केस में पीएम मोदी, मोहन भागवत और योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का बनाया गया था दबाव

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Pragya Thakur Statement: प्रज्ञा ठाकुर का बड़ा दावा, मालेगांव ब्लास्ट केस में पीएम मोदी, मोहन भागवत और योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का बनाया गया था दबाव

मालेगांव बम विस्फोट मामले में हाल ही में बरी हुईं भाजपा की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि 2008 में हुए इस ब्लास्ट की जांच के दौरान उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत और अन्य आरएसएस नेताओं के नाम लेने के लिए प्रताड़ित किया गया था।

प्रज्ञा ठाकुर ने यह भी कहा कि जांच एजेंसियों ने जबरदस्ती उनसे राम माधव और इंद्रेश कुमार जैसे अन्य प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नेताओं का नाम लेने को भी कहा। उनका कहना है कि उन्हें झूठ बोलने के लिए मजबूर किया गया और प्रताड़ना की सीमा तक पहुंचकर शारीरिक रूप से बुरी तरह क्षत-विक्षत किया गया।

प्रज्ञा ने कहा, “उन्होंने मुझसे जबरन बयान दिलवाने की कोशिश की। मेरे फेफड़े तक जवाब दे गए थे। मुझे अवैध रूप से अस्पताल में हिरासत में रखा गया। मैं गुजरात में रहती थी, इसलिए मुझसे पीएम मोदी का नाम लेने के लिए भी कहा गया। लेकिन मैंने किसी का नाम नहीं लिया क्योंकि मैं झूठ नहीं बोल सकती थी।”

उन्होंने आगे कहा कि इस पूरे घटनाक्रम को वह जल्द एक किताब के रूप में सार्वजनिक करेंगी, जिसमें सच्चाई को सामने लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश में सच्चाई को लंबे समय तक दबाया नहीं जा सकता और जो उन्होंने झेला है, वह केवल साजिश नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा था।

इस दावे के बाद एक बार फिर मालेगांव ब्लास्ट केस की जांच और उसके राजनीतिक एंगल को लेकर बहस तेज हो गई है। खास बात यह है कि इससे पहले महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) के एक पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने भी दावा किया था कि उनसे कहा गया था कि वे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को अरेस्ट करें, लेकिन उन्होंने आदेश मानने से इनकार कर दिया था।

मुजावर ने कहा था कि ब्लास्ट मामले की जांच को जानबूझकर एक खास दिशा में मोड़ा गया ताकि “भगवा आतंकवाद” का नैरेटिव खड़ा किया जा सके। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव था और कई वरिष्ठ अधिकारियों ने जानबूझकर मामले को तोड़-मरोड़कर पेश किया।

प्रज्ञा ठाकुर और मुजावर दोनों के इन दावों ने अब राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। एक तरफ विपक्ष पहले से ही एनआईए और अन्य जांच एजेंसियों की स्वतंत्रता पर सवाल उठाता रहा है, वहीं अब भाजपा समर्थक खेमा इसे ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ और ‘हिंदू विरोधी नैरेटिव’ का हिस्सा बता रहा है।

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