नरसिम्हा राव ने बढ़ाई थी वक्फ बोर्ड की पावर, अब मोदी सरकार कतरेगी पर, समझिए इसकी समस्याएं और विवाद

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BJP और मोदी के लिए क्यों श्रद्धेय हैं भारत रत्न पीवी नरसिम्हा राव, सात  कारणों से समझिये - Why BJP and Narendra Modi always admired PV Narasimha Rao  and honoured with Bharat

 

Waqf Board Amendment Bill: केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में कई बड़े बदलाव कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने वक्फ बोर्ड पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू कर दी और इसके संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है. साथ ही संसद में अगले हफ्ते इस बिल को लाया जाएगा, जिसमें कई संशोधन हो सकते हैं. जिसके तहत इसकी शक्तियों को कम किया जाएगा.

वक्फ बोर्ड की पावर को 1995 में नरसिम्हा राव की सरकार में बढ़ाया गया था. उस दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए थे. सबसे पहली बार वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 में संसद से पारित किया गया. इसके बाद 1995 में इसके अंदर बदलाव किए गए. 2013 में इसमें फिर संशोधन किए गए, जिसके बाद वक्फ को असीमित शक्ति और पूर्ण स्वायत्तता मिल गई.

मोदी सरकार बदलाव के साथ फिर लाएगी बिल

वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उसकी कार्यप्रणाली में संशोधन से संबंधित बिल सरकार इस हफ्ते संसद में ला सकती है. सरकार ने लगभग 40 बदलावों का प्रस्ताव रखा है. विधेयक में वक्फ अधिनियम की धारा 9 और धारा 14 में संशोधन का भी प्रस्ताव है. इस विधेयक को शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है. जिसके तहत वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करना है. बोर्ड की संरचना में परिवर्तन का भी प्रस्ताव है. निकायों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव है.

बोर्ड की ओर से भूमि को वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन सुनिश्चित किया जाना चाहिए. राज्य वक्फ बोर्डों की ओर से दावा की गई विवादित भूमि का नए सिरे से सत्यापन करने का प्रस्ताव है.

क्या होता है वक्फ बोर्ड?

वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है. इसको दान का एक रूप माना जाता है. वक्फ मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए दी गई संपत्ति है. संपत्ति और संपत्ति से हुए मुनाफे को हर राज्य के वक्फ बोर्ड प्रबंधन करते हैं. 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया था. सरकार ने 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की. 1995 में, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया.

वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वक्फ संपत्ति से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए किया जाए. बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड हैं. वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है. देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं.

वक्फ बोर्ड से जुड़ी अन्य जानकारी

सेंट्रल वक्फ काउंसिल भी होता है जो मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स के अंतर्गत आता है. वक्फ बोर्डों के कामकाज से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार के लिए सलाहकार निकाय भी है. 2013 में यूपीए सरकार ने मूल अधिनियम में संशोधन लाकर वक्फ बोर्ड को और अधिक शक्तियां दी थीं.

वक्फ बोर्ड में अनियमितताएं और समस्याएं

वक्फ बोर्ड अपनी विशाल संपत्तियों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. बढ़ती कानूनी लड़ाइयां, धाराओं की हार की जंग, आंतरिक अराजकता और राजनीतिक गर्माहट से घिरा हुआ है. अतिक्रमणकारियों और भ्रष्टाचारियों के कई आरोप लग चुके हैं. कानूनी मामलों, कर्मचारियों की भारी कमी, राजनीतिक नियुक्तियों, बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और दुखद ध्वस्तीकरण से आंतरिक रूप से जूझ रहे. भूमि और सार्वजनिक स्थानों को वक्फ बनाकर अधिग्रहित करने का भी आरोप है. सशस्त्र बलों और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड भारत में तीसरे सबसे बड़े भूमि मालिक बने हुए हैं.

वक्फ से जुड़ी शिकायतें

WAMSI पोर्टल पर 58000 से ज्यादा शिकायतें

राज्य बोर्डों में 12700 से ज्यादा लंबित मामले

न्यायाधिकरणों में 18400 से ज्यादा मामले

SC/HC में 165 से ज्यादा मामले.

केंद्र सरकार और दिल्ली वक्फ बोर्ड के बीच खींचतान

2023 में दिल्ली वक्फ सवालों के घेरे में आया. केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया. इसमें कई ऐतिहासिक मस्जिदें, मध्यकालीन दरगाह और कब्रिस्तान शामिल हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इन स्मारकों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से कोई प्रतिनिधित्व या आपत्ति प्राप्त नहीं हुई. ये संपत्तियां केंद्र सरकार के हाथों में चली गईं.

दिल्ली वक्फ बोर्ड ने समिति के तर्क पर विवाद करते हुए तर्क दिया कि इससे मुस्लिम समुदाय में “व्यापक दहशत, भय और क्रोध” पैदा हुआ है. वक्फ बोर्ड ने फैसले को खारिज किया और निंदा की. बोर्ड ने दावा किया कि संपत्तियां हमारी देखरेख में हैं और ऐसी ही रहेगी.

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