Delhi Crime: नशा माफियाओं की हैवानियत, वीडियो वायरल करने पर 22 वर्षीय युवक की पेचकस से गोदकर हत्या

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Delhi Crime: नशा माफियाओं की हैवानियत, वीडियो वायरल करने पर 22 वर्षीय युवक की पेचकस से गोदकर हत्या

दिल्ली एक बार फिर एक हैरान कर देने वाली घटना से दहल उठी है। पूर्वी दिल्ली के न्यू सीमापुरी इलाके में 22 वर्षीय युवक नफीस की नशा माफियाओं ने पेचकस से गोदकर निर्मम हत्या कर दी, क्योंकि उसने इलाके में चल रहे नशे के अवैध कारोबार का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया था। यह वारदात न केवल दिल्ली में बढ़ती आपराधिक घटनाओं को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि नशा माफिया अब बेखौफ होकर समाज के जागरूक नागरिकों को निशाना बना रहे हैं।

नफीस एक छोटी परचून की दुकान चलाता था, जो उसकी और उसके परिवार की आजीविका का जरिया थी। लेकिन जब उसने देखा कि उसकी दुकान के पास स्थित झुग्गियों में नशीले पदार्थों का खुलेआम व्यापार हो रहा है, तो उसने चुप रहने के बजाय मोबाइल फोन से वीडियो बनाकर उसे वायरल कर दिया। नफीस की नीयत नेक थी—वह अपने इलाके को नशा मुक्त देखना चाहता था। लेकिन शायद उसे यह अंदाजा नहीं था कि सच उजागर करने की कीमत उसकी जान होगी।

गुरुवार देर रात नफीस जब दुकान बंद करके घर लौट रहा था, तभी कुछ नकाबपोश बदमाशों ने उसे घेर लिया और पेचकस से ताबड़तोड़ वार कर उसकी हत्या कर दी। हमलावरों की दरिंदगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने नफीस को कई बार गोदा, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हमलावर वारदात के बाद तुरंत फरार हो गए।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने अब तक कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया है और गहन जांच जारी है। लेकिन नफीस के परिवार और इलाके के लोगों का आरोप है कि नशा माफियाओं की शिकायतें पहले भी पुलिस तक पहुंचाई गई थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

परिजनों का कहना है कि न्यू सीमापुरी की झुग्गियों में एक पूरा नेटवर्क है, जो नशीले पदार्थों की बिक्री और तस्करी में लिप्त है। यह माफिया किशोरों और युवाओं को नशे के दलदल में धकेल रहा है, और जब कोई इसका विरोध करता है, तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। नफीस भी इन्हीं आवाज़ों में से एक था, जिसे खामोश कर दिया गया।

दिल्ली सरकार की ओर से कुछ समय पहले मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हेल्पलाइन नंबर 1933 जारी किया था, ताकि लोग नशे के मामलों की सूचना दे सकें। लेकिन नफीस की मौत ने यह दिखा दिया कि सिर्फ हेल्पलाइन नंबर जारी करने से कुछ नहीं होगा, जब तक मौजूद नेटवर्क को जड़ से नहीं उखाड़ा जाएगा।

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर #JusticeForNafis ट्रेंड कर रहा है। लोग सवाल पूछ रहे हैं—क्या नफीस की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी नहीं थी? क्या आगे कोई और नागरिक नशा माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत करेगा?

नफीस अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी कुर्बानी ने दिल्ली की सड़कों पर फैलते नशे के जहर और सिस्टम की चुप्पी को उजागर कर दिया है। जरूरत है कि सरकार और पुलिस अब सिर्फ जांच न करे, बल्कि ऐसे मामलों में दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कार्रवाई करे ताकि नफीस जैसे और लोग जिंदा रह सकें।

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