CRPF Spy Arrest: CRPF ASI मोतीराम जाट देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार, NIA की कार्रवाई से खुलासा

0

CRPF Spy Arrest: CRPF ASI मोतीराम जाट देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार, NIA की कार्रवाई से खुलासा

नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बड़ा झटका उस समय सामने आया जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के सहायक उप-निरीक्षक (ASI) मोतीराम जाट को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि वह पिछले दो वर्षों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को संवेदनशील सुरक्षा जानकारी लीक कर रहा था। दिल्ली से गिरफ्तार किए गए जाट को कोर्ट ने 6 जून 2025 तक NIA की हिरासत में भेज दिया है।

NIA के मुताबिक, मोतीराम जाट की भूमिका का खुलासा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हुआ, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई थी। हमले के बाद जब जांच शुरू हुई, तब एक कड़ी ASI जाट से जुड़ती दिखाई दी। 21 मई को दिल्ली से गिरफ्तार किए गए जाट पर आरोप है कि वह 2023 से पाकिस्तान के लिए काम कर रहा था और लगातार भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों की गोपनीय जानकारी उन्हें भेज रहा था।

पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी के दौरान NIA ने जाट की जासूसी गतिविधियों का ब्यौरा अदालत के सामने रखा। विशेष न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 15 दिन की हिरासत मंजूर की। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह मामला सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की जान से जुड़ा है, जिसे किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

इन-कैमरा सुनवाई के बाद छह पन्नों का विस्तृत आदेश जारी किया गया जिसमें NIA को निर्देश दिया गया कि वह मोतीराम जाट और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के बीच संबंधों की गहराई से जांच करे, साथ ही यह भी पता लगाए कि उसने कौन-कौन सी जानकारियां साझा कीं और उनका दुरुपयोग कैसे हुआ।

यह मामला भारतीय सुरक्षा तंत्र के भीतर अंदरूनी खतरे की ओर इशारा करता है, जो किसी बाहरी हमले से कहीं अधिक खतरनाक होता है। CRPF जैसे संस्थान से जुड़े किसी अधिकारी का इस तरह जासूसी में लिप्त पाया जाना एक सिस्टमिक चूक का संकेत भी है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद CRPF और अन्य सुरक्षा एजेंसियों में आंतरिक सतर्कता और जांच प्रक्रिया को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

NIA की इस कार्रवाई ने साबित कर दिया है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां भीतर छिपे दुश्मनों के खिलाफ भी उतनी ही सख्त हैं जितनी सीमाओं के पार बैठे आतंकियों के खिलाफ।

Leave A Reply

Your email address will not be published.